"तुझे सूरज कहूँ या चंदा, तुझे दीप कहूँ या तारा, मेरा नाम करेगा रोशन जग में मेरा राज दुलारा" 70 के दशक में आई फिल्म एक फूल दो माली के गीत को सुनने पर वो इंस्पिरेशन दिखती है जो माता- पिता अपने बच्चों में देखते हैं। जब उन्हें लगता है कि बेटा बड़ा होगा या बेटी बड़ी होगी तो कुछ अच्छा, नया, इनोवेटिव करेगी। कुल का नाम रोशन करेगा। लेकिन हो क्या रहा है? देश की सर्वोच्च अदालत ने बकायदा संज्ञान लेकर कहा है कि कैंपस में कुछ तो ऐसा गलत चल रहा है, जिस पर ध्यान दिए जाने की जरूरत है। सबसे बड़ी बात ये है कि कोर्ट ने सुओ मोटो यानी स्वत: संज्ञान लिया है। क्या है पूरा मामला और सुप्रीम कोर्ट ने इस पर क्या कहा तमाम मसलों पर बात करेंगे। एक तो आपने आईआईटी खड़गपुर की बात सुनी होगी जहां पर चतुर्थ वर्ग के अंडरग्रैजुएट लड़के ने सुसाइड कर लिया। दूसरा मामला ग्रेटर नोएडा की शादरा

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यूनिवर्सिटी से जुड़ा है। वहां पर बीडीएस यानी बैचलर ऑफ डेंटल सर्जन की स्टूडेंट ज्योति शर्मा ने हास्टल के कमरे में सुसाइड कर लिया। उसने दो फैकल्टी मेंबर का नाम आगे किया कि इनकी वजह से सुसाइड किया। आपको कुछ महीने पहले की एक घटना याद होगी जब नेपाल की एक लड़की ने एक लड़के की वजह से आत्महत्या कर लिया था। आत्महत्या जैसे विषयों की बात करें तो बहुत बार ये चर्चा में आता है। आखिर बच्चे अपने प्राण क्यों ले लेते हैं? कई बार ऐसी चीज हम नई जनरेशन पर थोप देते हैं कि नई जनरेशन ही ऐसी है कि जल्दी हार मान जाती है। वो परिवार जो बहुत आशाओं से अपने बच्चे को पढ़ने के लिए भेजता है। पैसा बचाकर, जुटाकर खुद सस्ते कन्वेंस के द्वारा ट्रैवल करता है। लेकिन कोशिश करता है कि बच्चा हमारा अच्छे से पढ़े। लेकिन बहुत से ऐसे कारण हैं जिन वजहों से बच्चे सुसाइड करने पर आ जाते हैं। लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि कुछ तो गड़बड़ है जिसपर ध्यान दिए जाने की जरूरत है। वहीं एक विशाखापट्टनम में नीट की तैयारी कर रही छात्रा की मौत की जांच सीबीआई से कराने की मांग आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट ने खारिज कर दी थी, जिसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई। शिक्षण संस्थानों में स्टूडेंट्स की आत्महत्या और उनमें बढ़ती मेंटल हेल्थ की समस्याओं पर सुप्रीम कोर्ट ने  चिंता जताई और कहा कि आत्महत्या की रोकथाम के लिए देश में कोई माकूल कानून नहीं है। इसे देखते हुए कोर्ट ने 15 गाइडलाइंस जारी कीं, जो तब तक पूरे देश में लागू और बाध्यकारी होंगी, जब तक कानून नहीं बन जाता है। ये गाइडलाइंस सभी सरकारी, सार्वजनिक, प्राइवेट स्कूलों, कॉलेजों, विश्वविद्यालयों, प्रशिक्षण और कोचिंग संस्थानों और हॉस्टलों पर लागू होंगी, चाहे वे किसी भी चाहे वे किसी भी बोर्ड/विश्वविद्यालय से संबद्ध हों। सुप्रीम कोर्ट ने नीट की तैयारी कर रही 17 वर्षीय छात्रा की संदिग्ध हालत में मौत के मामले में सुनवाई करते हुए ये गाइडलाइंस जारी कीं। साथ ही, छात्रा की मौत की सीबीआई से जांच कराने का भी आदेश दिया है।